जिंदगी न मिलेगी दुबारा "
जिंदगी न मिलेगी दुबारा "
मिलती है जिंदगी, एक ही बार सभी को।
तन -मन -धन से सत्कर्म करते चलो।
पालो कई उम्मीदें , यारों।
लगन से पूरी करते चलो।।
अपनी जिंदगी से उम्मीद मुझे,
मेरा जीवन औरों से कुछ अलग और खास हो।
जब तक साॅंस चले मेरी,
स्वस्थ रहूँ, मस्त रहूँ, कार्यरत रहूँ।
स्वयं के बल पर जीती रहूँ।
सहारा न लेना पड़े, किसी का कभी, अरमान मेरे दिल का यही।।
उम्मीद है मुझको, भाई-बहन, मित्रों का
प्यार- भरा साथ, हरदम मिलता रहे।
मात-पिता ,सास- ससुर का,
आशीषों भरा हाथ, सिर पर बना रहे।
उम्मीद मुझे, जीवन क
े अंतिम पड़ाव तक,
हाथ- साथ न छूटे कभी। ।
उम्मीद मुझे है, कलम मेरी चलती रहे निरंतर।
सृजन ऐसा हो, सबको नेक राह दिखा सकूँ।
दामन ईमानदारी, सच्चाई का न छूटे कभी।
रुकावटें, विपदाऍं आऍं, चाहे जितनी।
थकूॅं नहीं, रुकूँ नहीं, आगे बढ़ती रहूँ सदा।।
उम्मीद यही, खुशियों के दरिया, जीवन भर बहते रहें।
बवंडर जो आए, मार्ग सुलभ हो जाए।
हिम्मत, हौसला, कम न हो ।
औरों के दुख- दर्द बाॅंट सकूँ।
खुशहाली उनके जीवन में, ला सकूँ मैं।
मिले मंजिल मुझे,
उम्मीद यही, जिंदगी से करती मैं सदा।।