सावन और मायका
सावन और मायका
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रिमझिम रिमझिम बरखा आई।
हरियाली चहुँ दिस है छाई।
प्रकृति ने ली अंगड़ाई।
नवजीवन धरती पाई।।
बाग- बगीचे में झूले पड़ाई।
झूला झूले बच्चे ,लोग -लुगाई ।
मधुर मिलन के गीत सुनाई।
सखियाँ हॅस- हॅंस ले अंगड़ाई।।
याद मुझको मायके की आई।
कब होगी माँ -भैया से मिलाई।
अखियाँ भर- भर मेरी आई।
रक्षाबंधन की याद दिलाई। ।
प्यारा त्यौहार रक्षाबंधन।
प्यारे भैया से मिलन।
सपनों में मैं खो गई।
भीगा तन -मन, पिया ने धीर बधाई। ।