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Chandrakala Bhartiya

Abstract

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Chandrakala Bhartiya

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"आहट होली की "

"आहट होली की "

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जब अमराई बहरने लगे, 

कोयल बागों में कूकने लगे, 

मदमाता बसंत फूलने लगे, 

प्रकृति दुल्हन- सी सजने लगे, तब

हौले से, आहट होली की आने लगी।।


रंग रंगीला फागुन आया।

ऋतुओं ने ली अंगड़ाई।

शीत ऋतु का अवसान हो गया, 

मौसम सारा सुहाना हो गया, 

मादकता चंहु दिस छाए, तब

याद आई, मनभावन, मतवाली होगी ।।


जब ब्रज में उड़ने लगे, अबीर, गुलाल, 

कान्हा संग राधा रानी , 

गोप - ग्वालिन, बूढ़े -बच्चे, 

मस्ती में झूमे नाचै, गावै , 

सुध- बुध बिसरायो, तब

याद आई, मनभावन, मतवाली होली ।।


जात- पात, रंग, लिंगभेद मिटायेंगे।

प्रेम रंग में रंग कर, सबको गले लगाएंगे।

अमृतधारा प्रेम की , बहाएंगे।

कहती 'चंदा' न कोई बैर भाव, 

न मनमुटाव, न नफरत कोई, 

ऐसी मनभावन, मतवाली होली, 

हम सब मिलकर मनाएंगे।

मज़ा जिन्दगी का उठाएंगे ।।



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