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Chandrakala Bhartiya

Action

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Chandrakala Bhartiya

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उलझी राहें "

उलझी राहें "

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यह जीवन नहीं आसाॅं। 

मुश्किलें राह रोके, खड़ी चहुँ दिस हैं। 

डगर जीवन की बड़ी कठिन है। 

जीवन के हर मोड़ पर, 

जाल बाधाओं का बिछा है। 

एक मिटाओ, दूजी सिर उठाती जाती है।।


जीवन संघर्ष की उलझी राहों में, 

कर्मठता ही एक सहारा। 

न घबराओ, हिम्मत न हारो। 

चट्टानी राहों पर, साहस से आगे बढ़ते जाओ। 

राहें आसान हो जाएंगी। 

मंजिल पास आ जाएगी। । 


हौसलों की उड़ान से, 

उलझी राहें, सुलझ जाती हैं। 

पौरुष बल से ,मरुभूमि में कर्मठता के फूल खिलाओ। 

जीवन मार्ग से भटके हैं जो;

सही राह उनको दिखलाओ। । 


ज्यों " दशरथ मांझी" ने निज हाथों, 

काटा भारी चट्टानों को। 

राह बनाई, मुश्किलें सभी की सुलझाईं। 

असंभव कुछ भी नहीं, होता जीवन में। 

आत्मबल, लगन, साहस से, 

उलझी राहें , सुलझती जातीं। 

मंजिल हमको मिल जाती। । 



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