आया सावन झूम के
आया सावन झूम के
रिमझिम -रिमझिम बरखा आई।
हरियाली चहूँ दिस है छाई।
प्रकृति ने ली अंगड़ाई।
नवजीवन धरती पाई।।
बदरिया घिर -घिर कर आई ।
उमड़- घुमड़ अंबर में मचाई।
पुरजोर चलने लगी पुरवाई।
दामिनी खेले ऑंख मिचाई।।
वन में नाचे मयूर, झूम- झूम।
कोयलिया बोले कूहू- कूहू।
चहक- चहक पपीहा करे पीहू- पीहू।
धरती मतवाली डोले चिहुँक- चिहुँक।।
पिया मिलन की ऋतु है आई।
धूम वर्षा ने रातों में मचाई।
दिल धड़का मोरा, मनवा घबराई।
जिगरवा में हलचल मचाई।।
बाग -बगीचों में झूले पड़ाई।
झूले उसमें लोग -लुगाई।
मधुर -मिलन के गीत सुनाई।
सखियाँ हॅंस- हॅंस ले अंगड़ाई।।
चेहरे पर खुशियाँ है चमके।
मनवा भी जोरों से धड़के।
मन बावरा झूम -झूम लगाए ठुमके।
आया सावन झूम के।
सखी री! आया सावन झूम के।।