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Chandrakala Bhartiya

Abstract

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Chandrakala Bhartiya

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अनमोल रिश्ते

अनमोल रिश्ते

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रिश्ते, बहुत अनमाेल होते। 

जन्म से मात-पिता- संग, रिश्ता जुड़ता। 

प्यार भाई -बहनों का मिलता। 

प्रेम- प्यार से रिश्ते बंधे होते । 

स्नेह- दुलार से निभाए जाते।। 


कई मित्र जीवन में हमारे आते। 

मधुर रिश्ते उनसे भी बनते। 

विवाह बंधन से पति- पत्नी का रिश्ता

जुड़ता । 

बच्चों के आने से, गहराई रिश्तों में आ जाती।। 


रिश्तों का आधार प्रेम है। 

जब प्रेम की गागर छलकने लगती, 

शक का कीड़ा मचलने लगता। 

पानी रिसने लगता, रिश्ते खिसकने लगते। 

धीरे-धीरे पानी सरता जाता। 

रिश्ते टूटने लगते।। 


जबसे अहमियत पैसों की होने लगी है। 

दरारें रिश्तो में बढ़ने लगी है। 

बेचे और खरीदे जा रहे रिश्ते आज।

अनमोल होते थे कभी जो;

हैसियत से तौले जाने लगे हैं आज।। 


आज मतलब से जुड़े हैं सारे रिश्ते।  

आज का मानव, हो गया है, 

अति मतलबी और संवेदनहीन। 

स्वार्थ लोलुपता बढ़ी इस कदर। 

नींव प्रेम की हिल गई बुरी तरह। 

प्रेम खत्म , रिश्ता खत्म। 

सच्चाई यही जीवन की। । 



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