मधु राग
मधु राग
प्रिय तुम हो चाँदनी की
श्वेत काया सी सजीली,
पुलक भर-भर ज़िंदगी की
श्वासों की लय रंगीली।
क्षितिज में गूंजी सदायें
प्यार के अवशेष गहरे,
बंद पलकों में समाये
स्मृतियों के पल सुनहरे।
अधर गीले मधुर गीतों
की,सहज बन ओस बूँदों,
स्वप्न में उमड़े मृदुल रस,
करूण धारा सहज गूंजे।
चाहतों की मधु रागिनी,
सांध्य अंचल में घनेरी,
निरन्तर निहारती सखी,
सजग होके पलक मेरी।