तेरी चाहतों का ताज़, सर पर सजाए बैठे हैं, तेरी चाहतों का ताज़, सर पर सजाए बैठे हैं,
नाम के जैसी हो तुम मखमली सदियों से ही तुम मेरा आज हो नाम के जैसी हो तुम मखमली सदियों से ही तुम मेरा आज हो
जिन हसरतों में खेली उसे खेलते खेल के मैदान में उतरती हूं। जिन हसरतों में खेली उसे खेलते खेल के मैदान में उतरती हूं।