जिन्दगी की वीणा का साज हो
जिन्दगी की वीणा का साज हो
“जिन्दगी की वीणा का साज हो
धड़कनों में गूंजती आवाज हो
चाहतों का तुम हंसी आगाज हो
ख्वाहिशों के पंखों पे परवाज हो
नाम के जैसी हो तुम मखमली
सदियों से ही तुम मेरा आज हो
रूह में उतरी तुम मेरे इस कदर
तेरी ही आरजू मुझे हर बार हो
तुम्हारे सिवा देखने की जरूरत नहीं
हकीकत और ख्वाबों में हर बार तुम हो “

