मदद
मदद
कड़ी धूप में देखा मुन्नी
एक बूढ़े आदमी माँग रहे थे भीख,
थोड़ा फिसलते थोड़ा संभलते
खड़े न हो पाते ठीक....
आँखें हैं उनकी सूजी हुई सी
बहता जाए जल,
बिखरे बाल, नंगे पाँव
शरीर में नहीं बल....
जो मुन्नी देखी, जा के बोली
सुनो पापा-मम्मी,
कान में घुसा, दिल में नहीं
बोले जाके खेलो गुड़िया रानी....
भैया भी सुने और दीदी भी सुनी
करने लगे उपहास,
झट से मुन्नी चली फिर
देखा पड़ा है एक बक्स...
बक्स उसने सामने रखा
भरा उसमें एक नोट,
लोग भी आए दान देने
भीड़ बढ़ी बहुत...
बूढ़े आदमी का दुःख हुआ दूर
मुन्नी हो गई खुश,
गुरुजी आए गले लगाया
बोले मुन्नी शाबाश...
मदद करना अच्छी बात है
मिलेगी खूब सारी दुआ,
खूब पढ़ना, खूब लिखना
दुनिया कहेगी वाह...।।
