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Pujashree Mohapatra

Children Stories Drama

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Pujashree Mohapatra

Children Stories Drama

छुट्टी के दिन

छुट्टी के दिन

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याद है मुझे अब भी उन दिनों की खबर,

एक्जाम के नाम सुनते ही आते थे मुझे फीवर,

"पढ़ाई करो, पढ़ाई करो," सुन-सुन कर हो जाती थी मैं बोर,

सोचती थी कब खत्म होंगे ये एक्जाम के चैप्टर,

एक्जाम खत्म होते ही मचलता था हम दोस्तों में एक शोर,

माँ बोलती थी ज्यादा उछ्लो मत आने दो एक्जाम के स्कोर।


याद है मुझे दोस्तों के साथ गई थी मैं एक मेला, 

झुला झूले, चुस्की खाए, खाए थे छोले भटूरे और समोसा,

मस्ती में झूमे, साइकिल में घूमें;

लगता है जैसे था वो कल,

आज भी हम सब नहीं भुले हैं वो सुहाना-सा पल...

पापा के संग नानी के घर गए थे मैं और भाई,

खाने में नानी ने परोसा था ढेर सारे पकवान ओर मिठाई।


फिर...

फिर हम सब दोस्तों के कदम चूमती है एक नया-सा दौर,

बिछड़ते हैं कुछ हमसे चुन के, अपना-अपना कैरियर...

ये थी मेरी एक्जाम खत्म होने के बाद की कहानी,

लगते थे वो दिन भी मुझे बड़े सुहाने।


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