पहला प्यार
पहला प्यार
पहले तो प्यार के नाम से अनजान था,
न जाने कौन सी दुनिया में दिल मेरा गुम था।
एक अजीब सी एहसास दिल में जगा,
जब से तुम्हारी एक झलक इन आंखों ने देखा।
तब से हर जगह तुम ही तुम नज़र आ रही हो,
मेरी खयालों में आके मुझे सता रही हो।
लगता है जैसे पागल सा में होने लगा हूँ,
बस हरपल तुम्हें मेरे नज़रों के करीब चाहता हूं।
क्या इसी को मोहब्बत कहते हैं लोग
अगर यही है मोहब्बत तो,
हर जन्म में तुम्हरा प्रेमी बनाना चाहता हूं।
हां यही सच है कि मुझे तुमसे प्यार है,
बेशुमार, बेपनाह, बेइंतहा मोहब्बत है।
ये दिल तुम्हारे सिवा कुछ सोचता नहीं,
इस पागल दिल को किसी भी काम में मन लगता ही नहीं।
इज़हार-ए-मोहब्बत के लिए ये दिल बेकरार है,
बस तुम्हारी इकरार का मुझे इन्तजार है।
तुम्हें ही मेरे छोटे से दुनिया में शामिल
करने की मेरे रब से यही दुआ है।
मुझे ये यकीन है कि तुम्हें भी मुझसे उतनी ही है,
जितना की मुझे तुमसे प्यार है।

