STORYMIRROR

Pujashree Mohapatra

Abstract Others

4  

Pujashree Mohapatra

Abstract Others

कागज़ और कलम

कागज़ और कलम

1 min
657

कागज़ और कलम मेरी भावनाओं को समझते हैं

रोज़ कुछ लिखने की ज़िद मुझसे वो करते हैं,

मैं मेरे दिल का हाल रोज़ उन्हें सुनाती हूँ

उनको मेरा जिगरी दोस्त जो मानती हूँ,

मेरी तन्हाई में मेरा साथ वो देते हैं

मेरे अल्फाजों को बखूबी समझते हैं।


कुछ प्यार मैं उन्हें देती हूँ

बहुत प्यार वो मुझसे करते हैं,

मेरे अंदर के‌ लेखक को जगाते हैं

मुझे हर पल में जीने का जज्बा दिलाते हैं,

मैं उनसे दूर नहीं जा पाती हूँ

मेरी छोटी-सी दुनिया में उन्हें शामिल करती हूँ,

हमेशा उनको अपने सामने मैं पाती हूँ

मेरी टेबल पर उन्हें सजाए रखती हूँ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract