STORYMIRROR

Pujashree Mohapatra

Romance

5.0  

Pujashree Mohapatra

Romance

कभी तो..

कभी तो..

1 min
707


कभी तो मिल जाओ तुम

ऐसे जैसे

जलती दुपहरी को सांझ

सांझ को मदहोश रात

रात को सुनहरा सवेरा

और सवेरा को पंछियों का शोर।


कभी तो

मिल जाओ तुम

ऐसे जैसे

द्वार को दो आँखें

दो आँखों को और दो आँखें

चार आँखों को प्रणय का एक पल

और उस एक पल को अमरता।


कभी तो मिल जाओ तुम

ऐसे जैसे

षोडशी को यौवन

यौवन को दर्पण

दर्पण को श्रृंगार

और श्रृंगार को आराधना।


कभी तो मिल जाओ तुम

ऐसे जैसे

प्यास को सुराही

सुराही को रेत

रेत में रखी सुराही को जल

और सुराही के मीठे जल को प्यासा

कभी तो...


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance