मछुआरा (prompt 7)
मछुआरा (prompt 7)
मछुआरा तुझ पर मैं दिल हारा
शाम-सबेरे बच्चों पर जी वारा
उनके संग बच्चा ही बन जाता
हाथ पकड़ पीठ चढ़ा ले जाता
छोटी-बड़ी नाव का साहिल
जब बजती बेटी की पायल
रोम-रोम पुलकित हो कायल
देख बेटे की कागज की नैया
करता खुशी तू अपनी जाहिर
देख खुशी उनकी भूले हर गम
दृगबूंद मोती सी होती शबनम
देख हौसला लहरें करें प्रणाम
सागर तुझे करे दिली सलाम
समुद्री लहर से कर दो-दो हाथ
सागर से लाता जलीय सौगात
पवन वेग से अटूट है रिश्ता
नाव पाल हाथ थाम फरिश्ता
एक नजर बादल की आहट
फिर भी मन न कोई घबराहट
रेतीली तट तेरा दिन-रैन बसेरा
और कहीं दूर जा न डाले डेरा
रंग-बिरंगी मच्छी आती फांस
मछेरिन की हर सांस की आस
लाते देख मछेरिन को जाल
तपसी सा जीवन,है बेमिसाल
समुद्र में जब उठता तूफान
निडर हो गाते हैया की तान
हाथ बढ़ा गाते कोली गान
सिन्धु से ही है इनका मान
गांज टापी सहत सैरेला
हैं किस्म-किस्म के डंडे
छोटे बड़े सुए सलाखें
सिलते जाल परखण्डे
सुलझा जीवन की गांठे
स्वप्नजाल सुहाने बुन लेते
जला दीप नन्ही उमंगों के
झोपड़ी खुद रोशन कर लेते।