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aazam nayyar

Abstract Crime Others

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aazam nayyar

Abstract Crime Others

मौसम

मौसम

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ढल गया इंतिज़ार का मौसम 

आ गया है बहार का मौसम 


नफ़रतों के ढ़ले यहाँ दिन अब 

प्यार के हो शुमार का मौसम 


है दुआ रब से हो सलामत सब 

चल रहा है बुखार का मौसम 


ज़िंदगी में खिले ख़ुशी के गुल 

अब ढले सोगवार का मौसम 


सुख गये फूल सब गुलिस्तां के 

अब आये आबशार का मौसम


जम गयी धूल है अदावत की 

प्यार के हो निखार का मौसम 


प्यार का आज़म फ़ूल मिल जाये 

जो चढ़ा है ख़ुमार का मौसम 



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