भूल गए जब जब कंटक रातें, नव पुष्प खिले, नव पुष्प खिले। भूल गए जब जब कंटक रातें, नव पुष्प खिले, नव पुष्प खिले।
है क़सम कर तू हिफ़ाजत है तेरा आज़म वतन ये। है क़सम कर तू हिफ़ाजत है तेरा आज़म वतन ये।
यहाँ हो रही ख़ूब अब मयकशी है ! न कोई बची गांव की वो गली है। यहाँ हो रही ख़ूब अब मयकशी है ! न कोई बची गांव की वो गली है।