मौसम ने फिर से करवट बदली है
मौसम ने फिर से करवट बदली है
देखकर तुमको मौसम ने भी करवट बदली है
जैसे किसिकों उसकी चाहत मिल गई होगी
मलाल ये नहीं कि तुमने रास्ते जुदा कर दिये
खुशी है हमारी बंदिशों से राहत मिल गई होगी
हमसे दिल्लगी न हो सकी तो कोई बात नहीं
दिल लगाने वाले यहाँ हमारे सिवा और भी हैं
माना कि इश्क़ के खेल में निपट अनाड़ी है हम
तुमको चाहने वाले यहाँ हमारे सिवा और भी हैं
तरुणाई के बादलों में संभल कर उड़ान भरना
इस मोड़ के मुसाफिर यहाँ अक्सर फिसलते हैं
इस भीड़ मे
ं मिल जाएंगे बेशुमार चेहरे जिनको
मंज़िल का पता नहीं है मगर घर से निकलते हैं
रास्ते का पत्थर नहीं कि ठोकर मारकर चल दिए
इश्क़ की आग में झुलसा इक आशिक़ का दिल है
हम समझे थे फिर कोई बादल आकर अटका है
करीब से देखा तो उनके गालों पर काला तिल है
उम्मीदों के बादलों में चंद खुशियाँ तलाशने वालो
बंजर ज़मीं पर मायूसियों के सिवा कुछ नहीं खिलता
हर ड़ाल पर मतलब के यार बैठे हैं यहाँ घात लगाए
ईमान की उधड़ी चादर को अब कोई नहीं सिलता।