सीधी-साधी लड़की
सीधी-साधी लड़की
एक सीधी - साधी लड़की कब तीखी बन गयी
वक़्त की आंधी में पता नहीं चला कब उलझ गयी .....
खुश रहती थी अपनों में ......खुद के देखे सपनों में
धीरे से मुस्कुराती थी नज़रें हमेशा चुराती थी .......
प्यार भी मिला ज़िंदगी में .......जो सोचा न था,
कभी मन में गम और खुशियाँ थे जीवन में
पर रहती थी सौम्य हर पल में
पता नहीं अब वो कहा खो गयी कुछ यूँ बदल गयी,
के जैसे दिन में रात हो गयी .....इश्क़ हुआ,
कुछ हलचल हुई......दिल में हिलोरे तेज़ हुई
उससे बतियाने को कई रातों से भोर हुई ......
डरती थी बिछड़ने से उससे .......
पर हुआ वही जो था नसीब में
पता नहीं अब वो कहाँ खो गयी कुछ यूँ बदल गयी,
के जैसे दिन में रात हो गयी
......नयी गलियों में अब बसेरा है ......
पर दिलो -दिमाग में पुरानी ही यादों का पहरा है
ढूंढ रही है सपनों में थे जो कभी अपनों में .....
एक सीधी - साधी लड़की कब तीखी बन गयी ......
वक़्त की आंधी में पता नहीं चला कब उलझ गयी।