ग़ज़ल - इश्क़ भी तुम ने किया बस यूँ ही आते जाते
ग़ज़ल - इश्क़ भी तुम ने किया बस यूँ ही आते जाते
इश्क़ भी तुम ने किया बस यूँ ही आते जाते।
दर्द कितना है दिया हम को यूँ जाते जाते।
दोस्ती ख़ूब निभाई थी बड़े दिन हमसे,
फ़र्ज़ दुश्मन का भी बनता है निभाते जाते।
मतलबी लोग ही दिखते है यहाँ दुनिया में,
दुनियादारी ज़रा हमको भी सिखाते जाते।
मेरे बस में तो नहीं है कि जला दूँ इनको,
ख़त जो तुमने थे लिखे उन को जलाते जाते।
मुस्कुराहट है लबों पर जो सजाई झूठी,
रोक कर हैं जो रखे अश्क़ बहाते जाते।
गीत गाया था कभी प्यार का मिलकर हमने,
है तमन्ना कि उसी गीत को गाते जाते।
कैसे काटेंगे सफ़र ज़िंदगी का बिन तेरे,
आख़िरी वस्ल की यादें तो सजाते जाते।