तुम्हें रास आए या ना
तुम्हें रास आए या ना
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कभी सोचती हूं कि प्यार कभी हमेशा का नहीं होता
लगता है आते जाते रहते हैं लोग प्यार में
जैसे की कोई मजबूरी हो
फिर तुम्हें देखती हूं
तुम्हारी हर बात मेरे लिए खास है
हां वो भी जो तुम्हें खुद नहीं पसंद
जिस दिन तुम्हें आइना देखने का भी मन न करे
उस दिन भी तुम मुझे बहुत प्यारे लगते हो
तुम्हारा गुस्सा भी पसंद है प्यार भी
मुस्कान भी और उदासी भी
मुझे हर वक्त तुम पसंद हो
हर बात पे प्यार आता है
और इसी से मुझे ये समझ आता है
की प्यार कभी हो जाना बंद नहीं होता
जो एक दफा हो गया है ना तुमसे
तो अब हमेशा ही रहेगा
साथ मिले या रहें अलग
चाहे तुम्हें रास आए या ना
मैं मन से साथ हूं तुम्हारे
और मन मेरा कभी न बदलेगा
अब तो जब तक रूह रहेगी
मेरा ये प्यार यूं ही रहेगा
दीवानापन ऐसे ही बढ़ेगा
तुम्हें रास आए या ना।