मौसम 2
मौसम 2
नये प्रेम का नया मौसम यहाँ
नया इसलिए कि किया नहीं
हो गया
पहले उसका मुझसे अब मेरा उससे।
यूँ तो हजारों चेहरे हैं गुरु के
ढेर सारे रिश्ते हैं उस एक से
आजकल एक निभ रहा है
अनुभव को शब्द मिल रहा है
एक वायदा निभ रहा है
सन्देश भी था आदेश भी था
खुद से मिलो,खुद को जानो
एक वायदा निभ रहा है,
खुद से जान पहचान हो रही है
खुद का हालचाल मिल रहा है
खुद से लड़ाई भी थी
अब खत्म हो गयी है,
खुद से मिलने के बाद
कोई कुछ भी कहे
हमारे लिये तुमसे सुंदर कुछ नहीं
प्यार जो करते हो मुझसे
मैं भी सुंदर हो सकता हूँ
तुम्हारे प्रेम में,तुम संग।