STORYMIRROR

Neer N

Tragedy

4.5  

Neer N

Tragedy

मैने कब कहा....

मैने कब कहा....

1 min
220


मैने कब कहा तुम्हें

चांद तारे तोड़ लाओ

कब मांगी मैंने मेरे

हिस्से की भी खुशी

कब कहा मचल कर

कि मुझे ये वो चाहिए

बच्ची सी थी, जब

बचपन को मार कर

आई थी तुम्हारे आंगन में

अपने आप को पूरी

तरह से मिटा कर

मर मिटी तुम पर

तुम्हारे घर का एक एक

मोती पिरोया धागा बन कर

और तुमने कभी भी नहीं

जाना मेरे मन का हाल ।

मतलब बहुत भारी चीज है

एक बार निकल जाए तो

हर रिश्ता हल्का हो जाता है

कुछ ऐसी सी ही हो गई हूं मैं

इतनी हल्की की अब मेरे

वजूद पर मुझ ही को शक है।

अपना बचपन, जवानी सब लुटा

दिया तुम पर और अब

मुझमें कुछ नही है,

सिर्फ इंतजार है मौत का

या फिर तुम्हारा, क्योंकि

उमर के इस बचे हुए पड़ाव

पर जरूरत है तुम्हारी,

उम्र भर तुम्हारा हर हाल

में साथ दिया है मैंने और

अब मुझे ज़रूरत है तुम्हारी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy