मैं
मैं
या गहन अंधकार हूँ
या पूर्ण निर्विकार हूँ
अथाह भव सिंधु के
या आर हूँ या पार हूँ
ना बीच मझधार हूँ
या करुणतम् पुकार हूँ
या भीषण हुंकार हूँ
अथाह सिंधु शांति का
या क्रूरतम् संहार हूँ
मैं शक्ति का संचार हूँ
या वाक्य विस्तार हूँ
या मौन का प्रसार हूँ
अथाह विचार सिंधु में
प्रच्छन्नतम् विचार हूँ
या सुलभ सा सार हूँ
ना पुण्यों का भार हूँ
ना पाप का प्रसार हूँ
अथाह कर्म सिंधु से
सृजित उपसंहार हूँ
मैं कर्मफल विस्तार हूँ।