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DR ARUN KUMAR SHASTRI

Abstract Fantasy

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DR ARUN KUMAR SHASTRI

Abstract Fantasy

एय्य जिंदगी

एय्य जिंदगी

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रोज़ भरता हूँ 

रोज़ पीता हूँ ।।

तुझे एय्य जिंदगी 

मैं रोज़ जीता हूँ ।।

तुमसे नेहा लगा के 

दीवाना हो गया हूँ ।।  

इश्क़ में तेरे 

बेगाना हो गया हूँ ।।

आसमां सो आसमां 

आस का तखल्लुस 

इच्छाओं का कारवाँ

आकांक्षाओं का समंदर 

अनुभूतियों का दिलबर 

चाहत है पाने की 

बस पगला सा गया हूँ 

इश्क़ में तेरे 

बेगाना हो गया हूँ ।।


एक हूँ अनेक हूँ 

कौन सी जगह बता 

जहां जहां नहीं हूँ 

तेरा साया हूँ 

मोहब्बत से आया हूँ 

मोहब्बत ही पीता हूँ 

मोहब्बत ही में जीता हूँ 

रोज़ भरता हूँ 

रोज़ पीता हूँ ।।

तुझे एय्य जिंदगी 

मैं रोज़ जीता हूँ ।। 

तुमसे नेहा लगा के 

दीवाना हो गया हूँ ।। 



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