रोबोट
रोबोट
Prompt-11
अब मम्मी झूला नहीं झूलती
दादी पार्क नहीं जाती
आपस की बातें कम हो गई है
अगर होती भी है तो उन में मिठास कम होती है
वो रस हीन लगती हैं
लगभग सब चुप से हैं
या बोलते हैं तो एक अजीब सा आक्रोश लिए
झुंझलाते,भावहीन चेहरा लिए
हर कोई व्यस्त बैठा है
कोई ना कोई कोना पकड़े
होठ चुप हैं
सिर्फ चल रही हैं आंखें, दिमाग और अंगूठा
स्क्रीन पर चल रहे चित्रों के मुताबिक
सिर्फ चेहरों की
भंगीमाय बदल रही है
शायद कोई नया ऐप है
सब नई दुनिया में डूबे हैं
यथार्थ से अलग कभी-कभी कुछ घटित हो जाता है तो
दिखाते हैं संवेदनाएं झूठी
देते हैं प्रमाण कि वो अभी जिंदा है
उन्होंने नहीं बनाई है भावों से दूरी
नेट पहले भी था
पर हम इतने सेट ना थे
पर कोरोना काल में हमारे गहरे मित्र,
मार्गदर्शक, करीबी बने इस नेट में
हमें कर दिया है रिजर्व, स्वार्थी और अकेला
इसके दुष्परिणाम जल्दी सामने आएंगे
जब एक दो नहीं बल्कि दुनिया में कई भाव हीन,
संवेदनहीन रोबोट नजर आएंगे।