STORYMIRROR

Brijlala Rohanअन्वेषी

Action Inspirational

3  

Brijlala Rohanअन्वेषी

Action Inspirational

मैं उठूँगा

मैं उठूँगा

1 min
143

बटोर पृथ्वी की अथाह ऊर्जा को,

उठूंगा मैं धीरे - धीरे ज़मीन से।

ज़मीन पर गिरा आदमी हूँ,

उठने से उड़ने तक मैं ज़मीन से ही जुड़ा रहूँगा।

क्योंकि मैं जानता हूँ कि आसमां में आशियां कहां?

एक दिन तो ज़मीन पे आना ही है।

इसलिए मैं हरदम ज़मीन से ही जुड़ा रहता हूँ।

अपने लड़खड़ाते कदमों से नापते हुए दूरियाँ 

पहुँच जाऊँगा मैं वहाँ जहाँ तमाम लोग

मेरी आवाज़ के सहारे ही अपनी जिंदगी जी रहे होंगे।

तब उन तक पहुँचने का मेरे अल्फ़ाज ही तो

मेरी बन्दगी तक मुझे पहुंचाएगी। 

हाँ ! मैं उठूँगा एक दिन।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Action