Dheerja Sharma
Tragedy
मैं सुरक्षित नहीं
कहीं पर भी।
आसमान
धरती पर।
जंगल
सड़क पर।
बाजार
दुकान में।
खेत
खलिहान में।
बस में
पार्क में
रोशनी या
डार्क में।
विद्या के
मंदिर में
अस्पताल के
अंदर ।
कहीं भी।
न बाहर के
जग में
न मां के
गर्भ में।
वह नहीं समझेग...
ऐ अच्छी औरत
दर्जी हूँ
पत्नी और चाय
शुक्रिया सैनि...
भू स्खलन
झूठ बोलता है
अलविदा
मेरा घर
युद्ध या बुद्...
कहने को दो-दो घर हैं पर हक़ हो इसका जिस पर ऐसा इसका कोई घरबार नहीं। कहने को दो-दो घर हैं पर हक़ हो इसका जिस पर ऐसा इसका कोई घरबार नहीं।
तब आई अक्ल ठिकाने मेरी, विद्वान तो बनी, पर इंसान न बन पाई ! तब आई अक्ल ठिकाने मेरी, विद्वान तो बनी, पर इंसान न बन पाई !
मृत्यु जैसा कुछ नहीं है मेरे जाने के बाद भी। मृत्यु जैसा कुछ नहीं है मेरे जाने के बाद भी।
तवायफी रिवाज को तुम इस दुनिया से मिटाओ औरत को समाज में बराबर की इज्जत दिलाओ। तवायफी रिवाज को तुम इस दुनिया से मिटाओ औरत को समाज में बराबर की इज्जत दिलाओ।
रंजिश नहीं है अल्फ़ाज़ों से दिल भरा है, अब भी जज़्बातो से पर कुछ कहने का, अब मन नहीं! रंजिश नहीं है अल्फ़ाज़ों से दिल भरा है, अब भी जज़्बातो से पर कुछ कहने का, अ...
मेरे मन की अगणित पीड़ा का एक जलसा होने वाला है। मेरे मन की अगणित पीड़ा का एक जलसा होने वाला है।
सिंदूर की लंबी रेखा, कैसे किसी की जीवन- रेखा । सिंदूर की लंबी रेखा, कैसे किसी की जीवन- रेखा ।
जिसका व्रत था वो बना रही पकवान चूल्हे पर! जिसका व्रत था वो बना रही पकवान चूल्हे पर!
तट नहीं कोई महफूज मेरे हिस्से का कहाँ बैठकर खुशियों की राह तकूँ। तट नहीं कोई महफूज मेरे हिस्से का कहाँ बैठकर खुशियों की राह तकूँ।
उस अल्हड़ लड़की के सहलाए बेले के फूलों की खुशबू से महकता सारा आंगन उस अल्हड़ लड़की के सहलाए बेले के फूलों की खुशबू से महकता सारा आंगन
तुम्हारे बिना जीना सीख ही तो गई थी मैं, फिर ख्वाबों में आ कर के क्यों सताते हो ? तुम्हारे बिना जीना सीख ही तो गई थी मैं, फिर ख्वाबों में आ कर के क्यों सताते ह...
आसानियों के चक्कर में,कठिनाई छोड़ आया लगती थी जो परेशानियाँ,उनसे मुँह मोड़ आया। आसानियों के चक्कर में,कठिनाई छोड़ आया लगती थी जो परेशानियाँ,उनसे मुँह मोड़ आया।
बिना सादगीवाले सदा रोते हैं भोले खुदा की रहमत पाते हैं। बिना सादगीवाले सदा रोते हैं भोले खुदा की रहमत पाते हैं।
दास बनें मजदूर सब, बंधुआ बनें किसान तैयारी में जोर से, लगा हुआ सुल्तान । दास बनें मजदूर सब, बंधुआ बनें किसान तैयारी में जोर से, लगा हुआ सुल्तान ।
पीड़ा के अथाह सागर में गोते लगाता हूं हरे घावों को सहलाता मैं! पीड़ा के अथाह सागर में गोते लगाता हूं हरे घावों को सहलाता मैं!
लेकिन निराश और पूछता है कहाँ गये वो दिन पुराने ! कैसे भूल गये वो अफ़साने ! लेकिन निराश और पूछता है कहाँ गये वो दिन पुराने ! कैसे भूल गये वो...
यह मंजर आज कैसा छाया है उजाले में अंधेरा नजर आया है! यह मंजर आज कैसा छाया है उजाले में अंधेरा नजर आया है!
न होती यौन शोषण का शिकार, न चढ़ती मैं दहेज़ की बलि, न होती यौन शोषण का शिकार, न चढ़ती मैं दहेज़ की बलि,
इश्क करने का इरादा है तो लौट जाओ आप जैसे तो यहां हर रोज ही आते हैं ! इश्क करने का इरादा है तो लौट जाओ आप जैसे तो यहां हर रोज ही आते हैं !
यह कैसी आई बीमारी? नाम है कोरोना महामारी। यह कैसी आई बीमारी? नाम है कोरोना महामारी।