STORYMIRROR

Bhavna Thaker

Romance

3  

Bhavna Thaker

Romance

मैं प्यासी तुम सराबोर

मैं प्यासी तुम सराबोर

1 min
379

समुचा साँसों में भरकर 

तुम नखशिख मेरे तन को खंगालते रहे

मेरे देह की मिट्टी से चुन चुनकर  

अपने दिल की संदूक में भर रहे हो

मेरे वजूद के कतरे.!


मेरे आँचल को आसमान बनाकर

गेसुओं में घटाओं के पर्वत ढूँढते 

आँखों से नीलम निकालते.!

मेरी पलकों पर अपने सपने रख दिए.!


गालों की ज़मीन मेरी

तुम्हारे पोरों का आशियां बनी

नाभि में डूबकर तुम मेरे

अस्तित्व को घेरकर

कुछ न कुछ अपनाते रहे.!


मेरे नाखूनों की परत पे

अपने होंठों की छाप छोड़े,


एक खुशबू की तलाश में

फिसलते तन का नक्शा मेरा

रट लिया समेट लिया मुझे खुद में.!


मैं बस एक प्यास लिए

बावरी नदी सी खोज रही हूँ

मकान की चाह में 

तुम में बेकल सा समुन्दर कोई।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance