मैं कौन हूं !
मैं कौन हूं !
मैं वह नहीं हूं, जो दुनिया मुझे जानती है !
मैं वह भी नहीं हूं, जो मैं अब तक खुद को जानता हूं!
तो फिर कौन हूं मैं !
मैं कौन हूं !
इसी 'मैं' की की खोज में,
मैं लगा हुआ हूं !
और जिस दिन मैं,' मैं' को प्राप्त कर लूंगा !
मैं, मैं नहीं रह जाऊंगा।
मैं को प्राप्त कर लेना ही अपने अस्तित्व को अंत कर देना है!
तो फिर मैं 'मैं' को क्यों प्राप्त करूं ?
अपने अस्तित्व का अंत क्यों करूं ?
लेकिन फिर मेरी अंतरात्मा मुझे पुकारती है कि,
यह एक तरह से 'मैं' का सृजन भी तो है !
तो फिर मैं, 'मैं'को क्यों क्यों न प्राप्त करूं ?