धरती को हरा बनाये
धरती को हरा बनाये
आओ मिलकर हाथ बढ़ाएं,
अपनी धरती को हरा बनाएं।
सजा दें उसके नयन कुछ
फूलों भरी लताओं से।
जो खिलखिला कर झूमती रहें,
इतराती हुई अदाओं से।
बिखरेंगे खुशियों के मोती
फिर से थोड़ा मुस्कुराएँ।
आओ मिलकर हाथ बढ़ाएं,
अपनी धरती को हरा बनाएं।
नया रूप जो खिले शीश पर,
केशों में आओ कुछ रंग भर दें।
गुलाब, जूही, बेला, चमेली, कमल,
चंपा, गुड़हल की महक दे दें।
खुशबू सी जो बयार चली
तन मन में वो उमंग जगाये।
आओ मिलकर हाथ बढ़ाएं,
अपनी धरती को हरा बनाएं।
नव यौवन की अंगड़ाई भी,
जब चरम तक पहुंचती है।
प्रफुल्लित फलों का मीठा सा,
रस जन जन तक बरसाती है।
फलों की चाशनी को आओ,
पाक कर मिष्ठान बनाएं।
आओ मिलकर हाथ बढ़ाएं,
अपनी धरती को हरा बनाएं।
रहे चरण यूँ ही अडिग खड़े,
चाहें जो भी तूफान आये,
पीपल, बरगद, नीम, आँवला,
अशोक, नीम से वातावरण संभले।
शुद्ध वायु के अनुयायी जो
धरती को भी स्वच्छ बनाएं।
आओ मिलकर हाथ बढ़ाएं,
अपनी धरती को हरा बनाएं।