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Manoj Kumar

Action Inspirational Others

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Manoj Kumar

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कल के सपने

कल के सपने

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जो भुला चुके हम, सदैव के लिए।

अब नहीं वो फिर से दोहराएंगे।

नहीं लाएंगे अपने कर्तव्य मोड़ पर।

निंदा करके हटाएंगे।


आने नहीं देंगे स्वस्थ मस्तिष्क में।

हम नई प्रगति के चिराग जलाएंगे।

छोड़ देंगे हम याद नहीं करेंगे कल के सपने।

जो बीत गए पुराने सोच पर अंकुश लगाएंगे।


जो बीत गए है वो फिर न आयेंगे।

अब नई दौर में हम पताका लहराएंगे।

सदा सदा के लिए ठुकरा देंगे वापस नहीं आने को कहेंगे।

बुझी हुई दीप को नया तेल डालकर फिर से जलाएंगे।


जो चला गया है सात समन्दर पार हम नहीं बुलाएंगे।

हम ढूंढेंगे नए फूल के तलाश में, कितने ही कांटे क्यों न मिले।

भले ही नहीं सोएंगे निशा में, नहीं लेंगे पुराने सपने।

हम बादल देंगे अपनी मेहनत से से, चाहे पसीना के जगह रक्त क्यों न मिले।


अब तो सोच कर भी नहीं सोचेंगे बीते सपने।

लेंगे गहरी नींद में नई ताज़गी के सपने।

भले ही अंधेरों में रश्मि नहीं मिले।

हम निरंतर आगे बढ़ेंगे नए सपने बन के अपने।



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