वक़्त की बात है
वक़्त की बात है


अभी खामोश हूँ
क्योंकि बोलने का वक़्त नहीं
हुनर को टटोल रही हूँ
बेहतर है मेरा काम जवाब दे
खुद पर विश्वास है असीम,
अटल,अपराजित, अगाध
ये आत्मविश्वास है
आत्म मुग्धता नहीं
मैं खुश रहूँ और
दुनिया सराहे मुझे
माता पिता सर उठाकर कहें
बेटी है हमारी
दुश्मनों को जलाने का
उद्देश्य नही कोई
वो स्वयं जल बुझ जायेंगे
ख़ाक को राख बनाने की ताकत
समय से आगे चलने की ख्वाइश
छोटी खुशियों में तलाशती अनंत स्वर्ग
पंख छीने हैं कई बार कुदरत ने
ए जिंदगी, नाराज़ न होना
मैं वो ककनूस हूँ जो
हर बार फिर 'मैं' बनकर
प्यार की नई कहानी लिखेगी।