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Dr.Purnima Rai

Romance Action Classics

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Dr.Purnima Rai

Romance Action Classics

जमाना हो गया दुश्मन !

जमाना हो गया दुश्मन !

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तुम्हारा साथ छूटा जब जमाना हो गया दुश्मन।

अकेलापन खटकता है नहीं खिलता ये मन गुलशन।


नहीं चाहा कभी भी गैर का जग में बुरा हमने,

हमारी इस अच्छाई से नहीं बरसा कभी भी घन।


अजब ये खेल किस्मत का दिलों को दूर कर देता,

निभाई दुश्मनी उसने जिसे अर्पित किया यह तन।


दिया जब साथ सच का तो हुयी हलचल जमाने में,

बड़ा बेदर्द था जालिम उड़ा कर ले गया सब धन।


खड़े ऊँचाई पर अब तुम तुम्हें कैसे पुकारेंगे ,

गिला ये "पूर्णिमा" करती सुनो दिल की मिरे धड़कन।


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