दूषित पर्यावरण
दूषित पर्यावरण
बेल की तरह लिपट रही है जिंदगी
ऐसा सफ़र क्यों तय कर रही है,
सफलता क़ी सीढ़ियों चढ़ने के लिए,
पर्यावरण को दूषित कर रही है l
जल रही है धरती इंसान को खबर नहीं
निरंतर वातावरण को प्रदूषित कर रहा है,
बदल रही दुनियां सब कुछ बदल रहा है
पर इंसान यहां क्यों नहीं बदल रहा है l
सूखे पत्तों क़ी तरह सिमट रही धरती
बारिस क़ी बूंदों के लिए तरस रहा है,
सभल जाओ अभी वक़्त है तेरे पास
पर्यावरण को क्यों दूषित कर रहा है l