STORYMIRROR

V Aaradhya

Tragedy

4  

V Aaradhya

Tragedy

मैं जो होती अहिल्या तो

मैं जो होती अहिल्या तो

1 min
403



मैं जो होती अहिल्या तो...

बनकर पत्थर बाट जोहती राम के

समक्ष रखती अपनी बात कि,

मुझे श्रापमुक्त करने से पहले

उन हाथों को कर दो पत्थर

जो किसी मासूम के जिस्म से खेलते हैँ,

उन आँखो को कर दो पत्थर

जो स्त्री के कपड़ों के भीतर झाँकते हैं,

उस जुबां को कर दो पत्थर

जो अभद्र गालियों का प्रयोग करते हैं,

उन कदमों को कर दो पत्थर

जो किसी अकेली लड़की का 

 दूर तक पीछा करते जाते हैं!

उन सबको कर दो पत्थर

जो बलात्कार और हत्या जैसा

जघन्य अपराध कर जाते हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy