मैं चाहूं जिसे
मैं चाहूं जिसे
यूँ ठंडी हवा का चलना बहना
फिर भी उसका यूँ सोते रहना ।
सुन्दर प्यारी मासूम नटखटी
हो सांवली बावली मैं चाहूं जिसे ।।
मन सुन्दर मोहक कद काठी
छूने में लगे जैसे चिकनी माटी।
मन को तेरी लगन लगी ऐसे
हो दिल का सुकून मैं चाहूं जिसे ।।
कहती है कुछ तेरी आँखें भूरी
मन में ना रखना मुझ से दूरी ।
मन की बातें मेरी, मैं कहूँ किसे
हो मनमीत मेरा मैं चाहूं जिसे ।।
अपनी बातें तूने की है मुझसे
सब कुछ मैने कही है तुझसे ।
मन में बात हम करते ऐसे
तन दो मन एक मैं चाहूं जिसे ।।
आमने सामने बहके बहके
दिखते है हम चहके चहके।
डूब जाये एक दूसरे में जैसे
हो दरीया सागर मैं चाहूं जिसे ।।
मेरा तुझसे हो कुछ ऐसा नाता
फूल बिन भौंरा रह नहीं पाता ।
खुशबू तेरी मन लुभाये ऐसे
मदहोश कर दे मैं चाहूं जिसे।।