मन
मन
मन से बड़ा ना कोई दोस्त यहाँ,
और ना मन से बड़ा है दुश्मन।
ये मन तो ऐसी एक प्रेमिका है,
जो मांगे है मुझसे मेरा जीवन।
बड़ी बेकाबू प्रेमिका यह तो है,
जो कभी कोई बात नहीं मानती।
इसी एक पर भरोसा है मुझे,
इसे पता, बात यह है जानती।
इसे चाहिए सुख सारे मुझसे,
पर मुझे है हर बार फंसाती।
तंग आकर काबू करना चाहूँ,
तब है सपनों के जाल बनाती।
लेकिन दोस्त भी ग़जब की है ये,
ठान ले तो बना देती है महान।
साहस संयम से काम करे तो,
मानव को बना देती भगवान।
जब प्रेमी बन जाऊं शिव जैसा,
शक्ति बन जाती पार्वती समान।
सीता सी राम की प्यारी बन जाती,
दिवानी हो जब ढूंढें भगवान।