चुनाव 2019
चुनाव 2019
मत की आजादी है विशेषता भारत की,
राजनीति तो खेल है स्वार्थ और शरारत की।
जन साधारण के लिए लोकतन्त्र को हम जानें,
नेता भले जन साधारण को ही कुछ ना मानें।
वैसे तो सब जीव खुद के हित के कामी है,
पर मनुष्य ही है जो बन सकता निष्कामी है।
देश हित को छोड़ हम क्यों छोटे हित साधे,
हमारा नेता वही जो निभाये किये सारे वादे।
इस चुनाव में अब देश के हित बात करेंगे,
जो देश का मस्तक ऊँचा करे उसे चुनेंगे।
प्रगति को छोड़ क्यों नुकसान करें हम अपना,
संसद में बैठे वो जो पूरा करे देश का हर सपना।
यह नया भारत यहाँ मतदाता दूजे किस्म के है,
खेल पलटने का जादू सिखा किसी तिलिस्म से है।
अब तो इंतजार है चुनाव के बाद के खेल का,
सरकार होगी सशक्त या गठबन्धन के मेल का।
