तुम भी अब जागो दोस्त
तुम भी अब जागो दोस्त
तुम भी अब जागो दोस्त,
सो कर समय बर्बाद हुआ।
दुनियादारी में पड़ कर यहाँ,
कब कौन कोई आबाद हुआ।
सिर्फ भोग की वस्तु नहीं तुम,
ना सिर्फ प्यास बुझाने आए हो।
परछाई हो तुम उस दिवाने की,
कुछ खेल नया दिखाने आए हो।
अभी तो पूरा खेल भी तूने,
खेला नहीं है जी भर कर यहाँ।
देख तो खुद को भी पलट कर,
कितना प्रकाश रखा भर कर यहाँ।