मैं और हम
मैं और हम
माना, कुछ खामियां हैं मुझमें,
गलतियां तुम्हारी भी चोट लगाने वाली होंगी,
मगर नज़रंदाज़ ना करे तो,
इसमें हमारा ही नुकसान है।
साथ चलना है हमें, हर मोड़ पर मिलकर,
मंज़िल ढूंढ़ना है, हर तूफ़ान से लड़कर,
सुख में साथ रहेंगे,
मगर दुःख में हाथ छोड़ दिया तो,
इसमें हमारा ही नुकसान है।
कुछ रस्में हमने निभाई हैं,
कुछ कसमें भी संग खाई है,
प्यार भी, तकरार भी, कभी अनजाने में
एक-दूसरे को चोट पहुंचाई है,
तुमसे हम, हमसे तुम पूरे हुए,
मगर अकेले ही चलना पड़ा तो,
इसमें हमारा ही नुकसान है।
मेरा भी कुछ हक़ है तुम पर,
तुम अपना हक़ जताओ तो सही,
मेरे दिल को भी कुछ शिकायतें है तुमसे,
तुम अपना समझकर समझाओ तो सही,
ज़माने के बहकावे में,
अगर रिश्ता भूल गए तो,
इसमें हमारा ही नुकसान है।
दीये की तरह तुम जगमगाओ,
मैं बाती बन जलती रहूँ,
सूरज की तरह तुम रोशनी फैलाओ,
मैं शाम बन ढलती रहूँ,
मगर जीवन में अंधेरा छा गया तो,
इसमें हमारा ही नुकसान है।
