ज़िंदगी का इम्तिहान
ज़िंदगी का इम्तिहान
कभी मौका मिले तो एक बार ज़िन्दगी का इम्तिहान लिया जाए,
थोड़ा ख़ुद टूटा जाए, थोड़ा उसे बनाया जाए।
कितनी हिम्मत बाकी बची है मुझमें, कितने ज़ख्म देना बाकी रहे हैं तुझमें,
हज़ारों की भीड़ में शामिल एक हम,कुछ तो कमाल किया जाए।
सिर्फ़ एक बार और ज़िन्दगी का इम्तिहान तो लिया जाए।
लहरों से लड़कर आए हैं हम, पत्थरों से ठोकर खाए है हम,
इतनी राहगुजरी का कुछ तो इनाम दिया जाए।
सिर्फ़ एक बार और ज़िन्दगी का इम्तिहान तो लिया जाए।
जुर्म पतझड़ ने किया, लूट बहार गई,
धोखा ख़्वाब ने दिया, टूट रात गई,
इन अनगिनत इल्ज़ामों का कुछ तो जवाब दिया जाए।
सिर्फ़ एक बार और ज़िन्दगी का इम्तिहान तो लिया जाए।
उदासी के लिए अब वक़्त कहां दर्द के लिए अब मल्हम कहां है,
इन बेअसर खयालों से ख़ुद को बाहर निकाला जाए।
सिर्फ़ एक बार और ज़िन्दगी का इम्तिहान तो लिया जाए।
