मैं अकेला
मैं अकेला
मैं अकेला तन्हा बेबस चलता रहा
मैं अकेला तन्हा बेबस चलता रहा
तंग राहों पर संग दिल सड़कों पर
कोई साथी कोई यार नहीं है मेरा
फ़क़त शोर बरपा है मेरे कानों पर
इस भरे जंगल में तन्हा खड़ा हूँ मैं
दोपहर की धूप में जलते अंगारों पर
रात की तीरगी मेरा मुकद्दर है अब
रात को ही फिरता हूँ मैं दीवारों पर
ज़ख्म ला-दवा मुझ को ले आया है
सुनसान सियाह काले इन रास्तों पर
मेरी क़िस्मत में नहीं है जाँ इश्क़ तेरा
क्यों रहम करते हो तुम बेवफ़ाओं पर
मुझ को ढूंढ कर पाने की आरजू में
क्यों भटकता है तू इन सहराओं पर
लम्हों की जंजीर ने मुझे यू पकड़ा है
मैं तो शिकस्ता पड़ा हुआ हूँ राहों पर
कोई निशाँ बाक़ी नहीं रहा मेरा यहाँ
मैं तो गुम हो गया हूँ चाँद सितारों पर
कोई राज दाँ मेरा नहीं इस दुनिया में
मेरा इख़्तियार नहीं है उन ख़बरों पर
मैं अकेला तन्हा बेबस चलता रहा
तंग राहों पर संग दिल सड़कों पर
कोई साथी कोई यार नहीं है मेरा
फ़क़त शोर बरपा है मेरे कानों पर।