मैली सियासी
मैली सियासी


सड़क किनारे किन्नर
बजाए ढ़ोल बाजा
नगरी है यह अंधेर
टके सेर भाजी-खाजा
आए चुनाव में जीतकर
अंधों में काने राजा
सत्ता के लग गए पर
उड़ने लगे चौपट राजा
हल्ला-गुल्ला गली-गली में
मस्त मौलों की हस्ती है
बन्दूक दन-दन चली-चली रे
दंगाइयों की बस्ती है
तंग है मोहल्ला उचक्कों से
इंसानी जान बड़ी सस्ती है
सुस्त-भ्रष्ट शासन के तले
आम जनता ही पिसती है
बावजूद लाख योजनाओं के
विषैली गरीबी डसती है
अरिष्ड्वर्ग के चक्रव्यूह में
मनुष्य की मनुष्यता फँसती है