वर्ष-सप्तकम्
वर्ष-सप्तकम्
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कृषाण-कर्ण बूँद-गूँज हेतु ही तरस् रहे
निदाध से निराश वन्ध्य-भू सुधा-सुधा जपे
घटा घिरे घने व घोर चन्द्र से छिपे चकोर
मारि-मेघनाद-लोल टर्र-टर्र शल्लशोर्
घुमड् घुमड् घुमण्ड मण्डराए मेघमण्डली
अनन्त अन्ध यामिनी अभीक भीम दामिनी
सुशंस है सुरेन्द्र का वसुन्धरा सुगन्धिता
विशुद्ध-वर्ष-घोषणा शुभा-विभा दसों-दिशा
तधित् तधा तधित् तधा मयूर नाट-नाटिका
सुगात्र-नेत्रमुष् प्रसून-पात्र-पुष्प-वाटिका
विहार वारिधार खेत-खात-जाह्नवी रमे
फुहार-सार मेघराग बाल-बालिका रमे
किशोर-रश्मि धूमरी महेन्द्रचाप वे स्वयं
प्रणाम सोम-चक्र को व दण्डवत् करे शुभम्