संगीता
संगीता
माघ माह झूमे मतवारी
शिशिर शरारती पवन सुहानी
गोद में व्योम की गंगा पधारी
राजकुमारी की राजदुलारी
सावन ऋतु की रैना कारी
मधुर संदेसा फीकी गिलौरी
खिली शिव-मन की तरंग की क्यारी
कलवारों की सजी फुलवारी
चंदन-मूरत गुड़िया सलोनी
कमल सी कोमल परियों की रानी
झूलती बाहों में कली मुस्काती
माथे डिठौना खूब लुभाती
कजरारे मृगनयन अनूठे
चाँद रुआँसा जब ये रूठे
झिलमिल मोती रिमझिम बरसे
उजले कपोल पे लाली झलके
कंठ रजत-मधु-रस से धुला रे
सिसकी में संगीत घुला रे
सुखद ध्वनि चितचोर बनी रे
मुख में बिराजे सरस्वती रे
चहके चिरैया कहके कोयलिया
लहके लावन्या महके मोहनिया
बाबुल की बुल बुल सी बिटिया
बाबुल की बुल बुल है बिटिया
नभ में हैं तारें उँजियारे
रेशमी-मखमली सेज सँवारे
नन्ही जान को लोरी रिझाए
मंगल निद्रा में खो जाए
शारदा गायत्री मेरी बिटिया
जगजननी है मेरी संगीता