तेरी परछाई
तेरी परछाई
तेरे कजरारे नैना जादू टोना लगते है,
मै नैनों के आयने में रहना चाहता हूँ।
तेरा ये चहेरा पूनम का चांद लगता है,
मै भंँवरा बनकर गुनगुनाना चाहता हूंँ।
तेरे दिल की धडकन लयबद्ध लगती है,
मै धड़कन का ताल मिलाना चाहता हूंँ।
तेरा हूश्न जन्नत की परी जैसा लगता है,
मै मदहोंश बनकर खो जाना चाहता हूँ।
तुझे देखकर मिलन की प्यास लगती है,
मै तुझे मेरी बांहोंमें सिमटाना चाहता हूंँ।
तेरा इश्क भले ही मुझे साजीश लगता है,
"मुरली" मै तेरी परछाई बनना चाहता हूंँ।
रचना:-धनज़ीभाई गढीया"मुरली" (ज़ुनागढ)

