माटी का दीया
माटी का दीया


कुम्हार बनाए माटी से
मुझको यूं रूंद रूंद कर,
इक सुन्दर आकर्षक रूप में
नाम भी मुझको 'दिया' दिया।
गोल मटोल चौकोर तिकोना
कैसा सुन्दर रूप सलोना,
जगमग जगमग टिम टिम करते
दीपमाला बन घर को सजाते।
तेल और बाती संगी साथी
हम मिल करते जग को रोशन
जंगल में मंगल हो जाता,
हर्षित हो जाता तन और मन।