मानवता को शर्मसार करने वाली
मानवता को शर्मसार करने वाली


मानवता को शर्मसार करने वाली अमानवीय घटना को
वीभत्स कहकर
पल्ला झाड़ लेना ,
खेद प्रकट कर देना !
क्या यही उत्तरदायित्व है कुर्सी पर बैठे जवाबदेह सत्ताधीशों की ?
क्या इसमें न्याय की उम्मीद दिखती है ?
अगर कुछ त्वरित कार्रवाई हो तब न्याय की उम्मीद भी दिखती है !
बहरहाल गनीमत इस बात की है कि सत्ता के सौदागरों द्वारा इसे वीभत्स घटना भी तो कहा गया।
कम-से-कम ये परिपाटी भी तो लोकतंत्र में अभी प्रचलन में है !