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Vikas Sharma

Tragedy

3  

Vikas Sharma

Tragedy

मानव की प्रगति ?

मानव की प्रगति ?

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199



 उलफत में हैं दुनिया सारी, सासों के

 लिये भी वक्त नहीं है

क्या यही मानव ने तरक्की की है,


पीने का जल स्वच्छ नहीं है,

रहने को स्थान नहीं है,

क्या यही मानव ने तरक्की की है,


ढेर लाशों के चारों तरफ है,

दफ़नाने को स्थान नहीं है,

क्या यही मानव ने तरक्की की है,


कदम – कदम पर हॉस्पिटल है,

फिर भी स्वास्थ किसी का ठीक नहीं है,

क्या यही मानव ने तरक्की की है,


अमीर – गरीब की खाई बढ़ी है,

स्वच्छ वायु भी उपलब्ध नहीं है,

क्या यही मानव ने तरक्की की है,


भाई – भाई के खून का प्यासा,

एक अकेला भी एक नहीं है,

क्या यही मानव ने तरक्की की है,


गुरुओं का सम्मान नहीं है,

अब माता – पिता भगवान नहीं है,

क्या यही मानव ने तरक्की की है।


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